भारत में डिजिटल क्रांति: सरकार ने 6% डिजिटल विज्ञापन कर हटाने का फैसला किया!
भारत सरकार ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को आसान बनाने और अमेरिकी टेक कंपनियों की चिंताओं को दूर करने के लिए डिजिटल विज्ञापन कर (Equalization Levy) को हटाने का फैसला किया है। यह कर 6% था, जिसे अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे Google, Meta और Amazon को चुकाना पड़ता था। इस बदलाव की प्रभावी तिथि 1 अप्रैल 2025 मानी जा रही है।
Equalization Levy क्या है?
Equalization Levy को 2016 में भारत सरकार ने डिजिटल लेनदेन पर कर लगाने के लिए पेश किया था। इसका मुख्य उद्देश्य उन विदेशी टेक कंपनियों पर टैक्स लगाना था जो भारत में डिजिटल सेवाओं के जरिए राजस्व अर्जित करती थीं, लेकिन यहां पर स्थायी रूप से नहीं थीं।
2020 में, सरकार ने इसका विस्तार किया और ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी यह कर लागू कर दिया, जिससे अमेरिकी टेक कंपनियों पर इसका प्रभाव बढ़ गया। अमेरिका ने इसे अनुचित व्यापार नीति बताया और भारत पर दबाव डाला कि इसे हटाया जाए।
भारत का निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?
1. अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों में सुधार – अमेरिका ने इस कर को लेकर आपत्ति जताई थी और बदले में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। इस टैक्स को हटाने से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे।
2. डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा – इससे विदेशी टेक कंपनियों को भारत में और अधिक निवेश करने का मौका मिलेगा, जिससे स्टार्टअप्स और डिजिटल उद्योग को फायदा होगा।
3. टैक्स नियमों में पारदर्शिता – सरकार अब ऐसे टैक्स ढांचे पर विचार कर रही है जो सभी कंपनियों के लिए समान रूप से लागू हो, चाहे वे भारतीय हों या विदेशी।
अगले कदम
भारत सरकार 1 अप्रैल 2025 से Equalization Levy को हटाने की योजना बना रही है।
अमेरिकी टेक कंपनियों से उम्मीद की जा रही है कि वे भारत में अपने निवेश को बढ़ाएंगी।
भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते की संभावना बढ़ सकती है।
यह फैसला भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा और विदेशी कंपनियों के लिए निवेश को अधिक आकर्षक बनाएगा।